आषाढ़ अमावस्या के पवित्र दिन पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आइए, विधि-विधान से पूजा करने का तरीका जानते हैं:
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय मन में शुद्ध भाव रखें और पूरे विधि-विधान से व्रत करने का संकल्प लें।
- पूजा की तैयारी: एक चौकी या आसन पर स्वच्छ वस्त्र बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), गंगाजल, धूप, दीप, फल, फूल और मिठाई आदि पूजा सामग्री को सामने रखें।
- आसन: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए आसन ग्रहण करें।
- षोडशोपचार पूजन: सर्वप्रथम आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सुगंध, पुष्पांजलि, धूप, दीप, नैवेद्य, निवेदन, वस्त्रामणि, तांबूल और विदा आदि सोलह उपचारों से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पूजन करें।
- मंत्र जप: पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ श्रीं महालक्ष्मीये नमः” मंत्रों का जप करें। आप अपनी श्रद्धा अनुसार अन्य वैष्णव मंत्रों का भी जप कर सकते हैं।
- कथा वाचन: आषाढ़ अमावस्या व्रत से जुड़ी कथा का वाचन करें या सुनें। कथा सुनने से व्रत का महत्व समझने में सहायता मिलती है।
- आरती और भोग: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें। इसके बाद उन्हें फल, फूल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
- दान का महत्व: आषाढ़ अमावस्या के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा दान करें। दान करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
- व्रत का पारण: सूर्योदय के बाद फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
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(chanting mantra):
नाग मंत्र
ॐ नागदेवताय नम:।
Om Nagadevataya Namah:।
ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
Om Navakulaya vidyamahe vishadantaya vidyamaya tanno sarpa: prachodaya।
नाग गायत्री मंंत्र
ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि तन्नो सर्प प्रचोदयात।
Om Nava kulaya vidhmahe vishadantaya dhi mahi tanno sarpa prachodaya।
कालसर्प दोष मंत्र
ॐ क्रौं नमो अस्तु सर्पेभ्यो कालसर्प शांति कुरु कुरु स्वाहा ||
Om Kraun Namo Astu Sarpebhyo Kalasarpa Shanti Kuru Kuru Svaha ||
सर्प मंत्र
ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नम:।
Om Namostu Sarpebhya Ye Ke Cha Prithivimanu Ye Antarikshe Ye Divi Tebhya Sarpebhya Namo:।
राहु मंत्र
ऊँ ऐ ह्रीं राहवे नम:।
Om Aye Hrim Rahave Namah:।
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।
Om Bhram Bhrim Bhram Sa: Rahave Namah।
ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम:।
Om Hrim Hrim Rahave Namah ।
केतु मंत्र
“ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”।
“Om Sran Srim Sraum Sah Ketavya Namah”.
ॐ पलाश पुष्प सकाशं तारका ग्रह मस्तकम्।
“Om palash pusp sakasham taraka grah mastakam।
केतु गायत्री मंत्र
ॐ पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात् ।
Om Padma Putraya Vidmahe Amriteshaya Vidmahe Tanno Ketu Prachodayat।
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्य्याऽपेशसे। समुषभ्दिरजायथाः।
Om Ketum krinvannaketave pesho marya apeshase. Samushabhdirajayathaḥ।
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आषाढ़ अमावस्या व्रत का महत्व (Ashadha Amavasya Significance):
आषाढ़ अमावस्या का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके पीछे कई धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आइए, इन मान्यताओं और महत्व को विस्तार से जानते हैं:
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति: माना जाता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और शांति आती है।
- पापों का नाश: इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। अमावस्या तिथि को चंद्रमा राशिहीन होता है और इस दिन व्रत रखने से आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
- ग्रहों की शांति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन ग्रहों की स्थिति कमजोर मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से ग्रह शांत होते हैं और कुंडली में मौजूद ग्रहों के दोष कम होते हैं।
- पूर्वजों का तर्पण: आषाढ़ अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण करने का भी विधान है। ऐसा करने से पूर्वजों को संतुष्टि मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से आषाढ़ अमावस्या का व्रत रखता है और विधि-विधान से पूजा करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं (Ashadha Amavasya Foods):
आषाढ़ अमावस्या के व्रत में सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। आइए, जानते हैं कि इस दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए:
- क्या खाएं: व्रत के दौरान आप फल, सब्जियां, दूध से बने पदार्थ (खीर, दही आदि), साबूदाना खीर, सेंवई आदि का सेवन कर सकते हैं।
- क्या न खाएं: व्रत के दौरान मांसाहार, मदिरा, लहसुन, प्याज और तले हुए पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही, किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन भी वर्जित है।
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व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें (Ashadha Amavasya 2024 Do’s & Dont’s):
आषाढ़ अमावस्या के व्रत के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए, जानते हैं कि इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए:
- क्या करें: प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें, पूजा करें, दान करें, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करें, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
- क्या न करें: क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रहें। किसी के साथ बुरा व्यवहार न करें। झूठ न बोलें। चोरी आदि पाप कर्मों से बचें।
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आषाढ़ अमावस्या व्रत के प्रसिद्ध मंदिर (Ashadha Amavasya 2024 Famous Temples):
आषाढ़ अमावस्या के दिन कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में विशेष पूजा-अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। यदि आप स्वयं पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो आप इन मंदिरों में जाकर दर्शन कर सकते हैं और वहां होने वाले अनुष्ठानों का लाभ ले सकते हैं। आइए, ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानते हैं:
- त्रिरुमला का तिरुपति मंदिर, आंध्र प्रदेश: भगवान विष्णु के प्रमुख धामों में से एक तिरुपति स्थित तिरुमला मंदिर में आषाढ़ अमावस्या के दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
- रंगनाथस्वामी मंदिर, तंजावुर, तमिलनाडु: भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। आषाढ़ अमावस्या के दिन यहां विशेष अभिषेक और पूजा का आयोजन किया जाता है।
- श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा: भगवान जगन्नाथ को समर्पित यह विशाल मंदिर आषाढ़ अमावस्या के दिन विशेष रूप से सजाया जाता है। इस दिन यहां विशेष पूजा-अनुष्ठान होते हैं और भक्तों का तांता लगा रहता है।
- गोकर्णेश्वर मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश: वाराणसी स्थित गोकर्णेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन यहां गंगा स्नान करने और पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र: नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। आषाढ़ अमावस्या के दिन यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। साथ ही, इस दिन यहां कुंभ स्नान करने का भी विधान है।
यह कुछ चुनिंदा मंदिर हैं। आप अपने आसपास के क्षेत्र में स्थित विष्णु या शिव मंदिरों में भी जाकर आषाढ़ अमावस्या के दिन दर्शन और पूजा कर सकते हैं।
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