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🌼 वरूथिनी एकादशी 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩वरूथिनी एकादशी 2025 🚩

वरुथिनी एकादशी के बारे में(About varuthini Ekadashi):

               वरुथिनी एकादशी को बरुथिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैयह एक शुभ दिन है जब भक्त भगवान विष्णु के वामन या बौने रूप (अवतार) की प्रार्थना और पूजा करते हैंवरुथिनी का अर्थ हैसंरक्षितऔर इस प्रकार एक धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और तपस्या करने से व्यक्ति को अपने सभी पिछले और भविष्य के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता हैयह दिन महिलाओं के लिए बहुत शुभ होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से भविष्य में खुशहाली आती है 

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🕰️varuthini Ekadashi 2025 Date & Time:📅


 वरूथिनी एकादशी 24 अप्रैल 2025 गुरुवार 

पारण का समय – 25 अप्रैल को सुबह 06:02 से 08:36 तक 

पारण दिवस द्वादशी समाप्ति क्षण – 11:44 

एकादशी तिथि आरंभ – 23 अप्रैल 2025 को 16:43 बजे से 

एकादशी तिथि समाप्त – 24 अप्रैल 2025 को 14:32 बजे 

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💐वरुथिनी एकादशी का महत्व(Significance Of Varuthini Ekadashi):💐


                   पद्म पुराण उत्तर खंड में, भगवान कृष्ण(Krishna) ने राजा युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी के बारे में इसकी पूरी महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने वर्णन किया कि जिस किसी ने भी वरुथिनी एकादशी का पवित्रतापूर्वक पालन किया, उसे सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त हुई। वरुथिनी एकादशी व्रत का पालन सभी बुराइयों के खिलाफ एक ढाल बन गया, और इसने अपने भक्तों को आनंद और मोक्ष दिया। 

                  एक दुर्भाग्यशाली महिला, एक धोखेबाज पुरुष, या एक राजा जो वरुथिनी व्रत में अत्यधिक विश्वास रखता है, उसे भौतिक सुख के साथ-साथ मुक्ति भी मिलेगी। किसी भी जीवित प्राणी को जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त कर दिया जाएगा, यानी उन्हें पुनर्जन्म से मुक्त कर दिया जाएगा। वरुथिनी व्रत भक्तों के सभी पापों को नष्ट कर देता है। वरुथिनी व्रत के कारण ही राजा मान्धात्र और राजा धुन्धुमार ने स्वर्ग में अपना स्थान सुरक्षित किया। पद्म पुराण की एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण राजा युधिष्ठिर को बताते हैं कि कैसे भगवान शिव(Shiv) ने स्वयं भगवान ब्रह्मा के पांचवें सिर को काटने के पाप से मुक्त होने के लिए वरुथिनी एकादशी व्रत का पालन किया था, जिससे ब्रह्म हत्या (ब्राह्मण की हत्या हुई थी)। 

             वरुथिनी एकादशी बड़े से बड़े पापों को भी नष्ट कर देती है और देवता को दिए गए शुभ प्रसाद के समान आशीर्वाद प्रदान करती है। यह किसी को भूमि देने से भी बढ़कर, सोना देने से भी बढ़कर, भोजन देने से भी बढ़कर, या विवाह में अपनी बेटी के कन्यादान से भी अधिक सुख और आशीर्वाद देता है। कन्यादान को सबसे बड़ा दान माना जाता है और वरूथिनी एकादशी का महत्व 100 कन्यादान के बराबर है। भगवान कृष्ण ने यह भी कहा कि वरुथिनी एकादशी का व्रत निष्ठापूर्वक करने से ‘अंत में अक्षय पद’ प्राप्त होगा। इसलिए, जो लोग सचेत हैं और अपने द्वारा किए गए पाप से डरते हैं, उन्हें पूरे प्रयास के साथ वरूथिनी व्रत का पालन करना चाहिए। 

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🍀वरुथिनी एकादशी पूजा विधि(Varuthini Ekadashi Puja Vidhi):🍀

 

  • सुबह उठकर स्नान करें, अनुष्ठान शुरू करने से पहले अच्छे साफ कपड़े पहनें। 

  • भक्त भगवान विष्णु(Vishnu) की पूजा करते हैं और संकल्प लेते हैं कि व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखा जाएगा और वे किसी भी जीवित प्राणी को चोट नहीं पहुंचाएंगे।  

  • श्री यंत्र के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति रखें, देसी घी का दीया जलाएं, फूल या माला और मिठाई चढ़ाएं।  

  • लोग भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पत्र के साथ पंचामृत (दूध, दही, चीनी (बूरा), शहद और घी) चढ़ाते हैं।  

  • भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।  

  • भक्तों को शाम को सूर्यास्त से ठीक पहले पूजा करनी चाहिए और भगवान विष्णु को भोग प्रसाद चढ़ाना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम, श्री हरि स्तोत्र का पाठ करें और भगवान विष्णु की आरती करें। 

  • वैसे तो व्रत द्वादशी तिथि को पूरी तरह टूट जाता है लेकिन जो लोग भूख सहन नहीं कर सकते, वे शाम को पूजा करने के बाद भोग प्रसाद खा सकते हैं।  

  • भोग प्रसाद सात्विक होना चाहिए- फल, दूध से बने उत्पाद और तले हुए आलू आदि।  

  • शाम के समय आरती करने के बाद भोग प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में बांट देना चाहिए  

  • भोग प्रसाद बांटने के बाद भक्त सात्विक भोजन करके अपना व्रत तोड़ सकते हैं।  

  • कई भक्त कठोर उपवास रखते हैं और पारण के बाद द्वादशी तिथि को अपना उपवास तोड़ते हैं।  

  • भक्तों को भगवान विष्णु/भगवान कृष्ण से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाना चाहिए।  

  • शाम के समय लोगों को तुलसी के पौधे में भी दीया जलाना चाहिए। 

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🌻 वरूथिनी एकादशी व्रत के लिए क्या करें और क्या न करें(Do’s and Don’t for Varuthini Ekadashi):🌻

क्या करें(What to do):

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और श्री हरि विष्णु के व्रत का संकल्प लें।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी जरूर चढ़ाएं।

  • अगर आपने एकादशी का व्रत नहीं भी रखा है तो भी इस दिन सात्विक चीजों का ही सेवन करें।

  • द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही एकादशी व्रत का पारण कर लेना चाहिए।

  • एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व है, इसलिए एकादशी तिथि पर दान करना न भूलें।

  • व्रती व्यक्ति को एकादशी व्रत के दिन श्रीमद्भागवतम् या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए।

  • साथ ही भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।

क्या न करें(What not to do):

  • वरूथिनी एकादशी व्रत के दौरान व्रती को सोना नहीं चाहिए।
  • इसके साथ ही दूसरों को अपशब्द नहीं कहने चाहिए और झूठ बोलने से भी बचना चाहिए।

  • एकादशी के दिन तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

  • एकादशी तिथि के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते न तोड़ें।

  • एकादशी के दिन सिर नहीं धोना चाहिए। साथ ही एकादशी के दिन चावल खाना भी वर्जित माना जाता है, इसलिए अगर आप इस दिन व्रत नहीं भी रखते हैं तो भी आपको चावल खाने से बचना चाहिए।

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🍀 Mantras of Varuthini Ekadashi:🍀


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय..!!
 

Om Namo Bhagvate Vasudevaye..!! 

 
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा..!! 

Shri Krishna Govind Hare Murari Hey Nath Narayan Vasudeva..!! 

 
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे..!! 

Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare, Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare..!! 

 
राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे, सहस्त्रनाम ततुल्यं राम नाम वरानने..!! 

Ram Ram Raameti Rame Raame Manorame,  Sahastranaam Tatulyam Ram Naam Varanane..!! 

 
अच्युतम केशवम् कृष्ण दामोदरम राम नारायणम् जानकी वल्लभम्..!! 

Achyutam Keshvam Krishna Damodaram Ram Narayanam Janki Vallabham..!! 

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💐निष्कर्ष(Conclusion) 💐

             
                    वरुथिनी का अर्थ है संरक्षित या कवचयुक्त। इस एकादशी का पालन करने से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा, दुर्भाग्य और पापों से सुरक्षा मिलती है। वरुथिनी एकादशी आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा, शुद्धि और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण व्रत है। इसे ईमानदारी से करने से स्वास्थ्य और शक्ति, धन और बुद्धि, और भगवान विष्णु से दिव्य आशीर्वाद मिलता है।

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