Shrimad bhagvat geeta (SBG)

Latest Post

🌼 निर्जला एकादशी 🌼

॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

🚩 निर्जला एकादशी 🚩

Significance of Nirjala or Bhim Ekadashi:

         निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है। ये व्रत मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। इस एकादशी का व्रत करके श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को पूरे साल की एकादशियों का फल मिलता है। इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। 

  ***

निर्जला एकादशी व्रत विधि:

  

 निर्जला एकदशी व्रत करते समय भक्तों को कुछ सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है।क्यूंकि  यह सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण और कठिन है 

  

  • सुबह जल्दी उठें और सुबह के अनुष्ठान करें जैसे स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।  
  • भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए निकटतम मंदिर में जाएँ। 
  • विष्णु की छवि या शालिग्राम पत्थर को पंचामृत (पानी, दूध, शहद, चीनी और गुड़ का मिश्रण) से स्नान कराएं। 
  • व्रत 24 घंटे तक रखा जा सकता है, यानी निर्जला एकादशी के सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक, या केवल निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक। 
  • भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने ध्यान करें। 
  • निर्जला एकादशी की पूजा अनुष्ठान के भाग के रूप में भगवान विष्णु को फूल, अगरबत्ती और दुर्वा घास (एक प्रकार की घास) आदि चढ़ाएं। 
  • निर्जला एकादशी व्रत करते समय भोजन और पानी का सेवन सख्त वर्जित है। 
  • निर्जला एकादशी को दान-पुण्य करने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। जरूरतमंद लोगों को कपड़े, अनाज, हाथ के पंखे और छाते जैसी चीजें दी जाती हैं। 

  ***


Bhim or Nirjala Ekadashi  Date and Timings

 

  • 18 जून 2024, मंगलवार को निर्जला एकादशी
  • 19 जून को पारण का समय- प्रातः 05:34 बजे से प्रातः 07:28 बजे तक
  • पारण दिवस द्वादशी समाप्ति क्षण – 07:28 पूर्वाह्न 
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ – 17 जून 2024 को प्रातः 04:43 बजे 
  • एकादशी तिथि समाप्त18 जून 2024 को सुबह 06:24 बजे 

 

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे।इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ। 

सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है। जहाँ साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है। वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी ज़रूरी है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।  व्रत का विधान है। 

 ***

 

निर्जला एकादशी व्रत पर क्या करें और क्या न करें 

 

  • निर्जला एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना शुभ नहीं माना जाता है।
  • जो लोग निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं उन्हें निर्जला एकादशी के दिन कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।
  • निर्जला एकादशी के दिन बॉडी वॉश या बॉडी सोप से नहाना नहीं चाहिए। उन्हें सादे पानी का उपयोग करना चाहिए।
  • भले ही आप व्रत कर रहे हों या नहीं, लेकिन एकादशी के दिन भक्तों को चावल से बनी कोई भी खाद्य वस्तु नहीं खानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि उन्हें उस दिन का फल नहीं मिलता है।
  • निर्जला एकादशी के इस शुभ दिन पर भक्तों को भगवान विष्णु को तुलसी दल से भोग लगाना चाहिए।
  • एकादशी के दिन किसी के बारे में बुरा न कहें और अपना मन शांत रखें, आराम करें और “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। 
  • इस दिन व्यक्ति को मांस, शराब जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

  ***

 

Lord Vishnu Shlokas and Mantras:  

 

🔹विष्णु जी का दुर्लभ मंत्र 🔹

 

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। 

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  

om hrim kartaviryaarjuno nam raja bahu sahastravan। 

yasya smaren matren hratam nash‍tam ch labhyate।।

***

 

🔹विष्णु मूल मंत्र🔹

 

ॐ नमोः नारायणाय॥  

om namoh narayanay 

***

 

🔹विष्णु गायत्री मंत्र 🔹

 

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

 om shri vishnave ch vidmahe vasudevay dhimahi।

tanno vishnuh prachodayat॥

  ***